19 मार्च 2018

बेमौसम बारिश

ये तारों की कुछ साजिश है, 
या कायनात की ख्वाइश है ? 
कुछ तो कारण है, वरना क्यों 
बेमौसम छलकी बारिश है ? 

बिजली की झनकार छेडकर 
बूँदों में पैगाम भेजकर 
रूठी धरती को मनाने की 
आसमान की कोशिश है 

अपनी मिट्टी के इत्तर से 
सभी दिशाएँ महकाने की 
बेकरार उस आसमान की 
धरती से फर्माइश है 

धरती भी अब भूलकर गिलें 
क्षितिज पे रुके आसमान के 
मुस्कुराते लग जाए गले 
कुदरत की यही सिफारिश है 

- अनामिक 
(१९/०३/२०१८) 

08 मार्च 2018

छोड दू

तुम रूठ जाओ, मैं मनाऊ.. खेल ये चलता रहे 
रूठो न इतना भी, की मैं थककर मनाना छोड दू 

नजरें चुरा लो कुछ दफा.. कर लू नजरअंदाज भी 
पर यूँ न फेरो मुह, की मैं नजरें मिलाना छोड दू 

मैं कुछ कहू, कुछ पूछ लू.. सुनकर भी कर दो अनसुना 
इतनी भी चुप्पी मत रखो, मैं बात करना छोड दू 

पीछे चलो, आगे चलो.. धीमे चलो, भागे चलो 
पर यूँ न मोडो कदम, की मैं साथ चलना छोड दू 

- अनामिक 
(२०/०२/२०१८ - ०८/०३/२०१८)

03 मार्च 2018

ऐ चाँद पूनम के, बता..

तू दूर है, या पास है ? 
तू गैर है, या खास है ? 
तू जाम है, या प्यास है ? 
ऐ चाँद पूनम के, बता..
                               तू ख्वाब है, या आस है ? 
                               या दर्द का एहसास है ? 
                               तू सच है, या आभास है ? 
                               ऐ चाँद पूनम के, बता.. 

ये शबनमी तेरी किरन 
है छाँव शीतल, या जलन ? 
है नर्म रेशम, या चुभन ? 
ऐ चाँद पूनम के, बता.. 

                               होकर नजर के सामने 
                               तू बादलों के पार है 
                               क्यों दर्मियाँ दीवार है ? 
                               ऐ चाँद पूनम के, बता..

- अनामिक
(०१-०३/०३/२०१८)