इक ख्वाब धागों से रुई के बुन लिया, बस बुन लिया
यूँ तो न अंबर में पडा है चाँद-तारों का अकाल
पर इक दफा, ग्रह ही सही, जो चुन लिया, बस चुन लिया
वैसे न मानी बात औरों की, न खुद की भी कभी
इक बार पर जो हुक्म दिल का सुन लिया, बस सुन लिया
हर गैर से रिश्ता बनाने की मेरी फितरत नही
इक बार अपनों में किसी को गिन लिया, बस गिन लिया
- अनामिक
(०६/०६/२०१७, २३/११/२०१७)
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