13 जुलाई 2017

जवाब

करने को तो जंग भी कर लू, ईट का जवाब पत्थर से दू
सब तानों का, अपमानों का हिसाब तीखे अक्षर से दू
मगर क्या करू ? शायर जो हूँ, शायर का ये धरम नही
काँटें भी दे मारे कोई, गुलाब महके इत्तर से दू

कलम हाथ में है नाजुक सी, नोकीली तलवार नही
इश्क छलकता है इससे, इसमें रंजिश की धार नही
हर किस्सा इक नज्म बनेगी, जंग कर लो, या समझौता
दिल जीतेगी दुश्मन का भी, इसकी किस्मत हार नही

- अनामिक
(२६/०४/२०१६, १२,१३/०७/२०१७)

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