किसे रंग-रूप, किसको मखमली काया पसंद आए
किसे तीखी निगाहें, शरबती आँखें लुभाती हैं
किसे लहराती जुल्फों का घना दर्या पसंद आए
किसी को गाल की लाली, किसे काजल सुहाता है
किसे नाजुक लबों की सुर्ख पंखुडियाँ पसंद आए
किसे नखरें पसंद, कोई अदाओं का है दीवाना
किसे सिंगार, झुमकें, चूडियाँ, बिंदिया पसंद आए
ये सब कुछ हो न हो तुझ में, मुझे ना फर्क पडता है
मुझे बस सादगी तेरी, शर्मो-हया पसंद आए
- अनामिक
(२८/१०/२०१६, १८,१९/१२/२०१६)
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