29 फ़रवरी 2016

जिंदगी की बात

कर लिये गप्पें बहोत, ढलने लगी है रात भी
चल सखी कर ले जरासी जिंदगी की बात भी

चुटकुलें, किस्सें, संदेसें बहोत भेजे, पढ लिये
चल जरा पढ ले निगाहों में लिखे जज़बात भी

इत्र, गुलदस्तें, खिलौनें.. दे चुके तोहफें कई
पेश करके देख ले दिल की हसीं सौगात भी

चल चुके चालें कई इस इश्क की शतरंज में
जीतने अब दाँव खा ले मुस्कुराकर मात भी

हमराह बनने की पहल कब तक इशारों में करे ?
चल बढाए अब कदम, कर ले नयी शुरुआत भी

- अनामिक
(२४-२९/०२/२०१६)

17 फ़रवरी 2016

कशिश

जाने कैसी कशिश तुम्हारी आँखों की गहराई में है
नफरत भी बरसे इनसे, फिर भी इक प्यास जगाती है

अजब तुम्हारी खामोशी भी, जैसे गजल सुनाती है
रंजिश के स्वर में भी, लगता है, आवाज लगाती है

कदम तुम्हारे बडे सितमगर, मुझे देख मुड जाते हैं
धूल मगर उन कदमों की राहों में फूल खिलाती है

नजर चुरा लो, मुँह भी फेरो, मगर नजर के सामने रहो
सिर्फ तुम्हारी मौजूदगी भी दिल को सुकूँ दिलाती है

- अनामिक

(३०/१२/२०१४, १२-१७/०२/२०१६)

02 फ़रवरी 2016

ऐ चाँद

सुनो ऐ चाँद पूनम के, न इतना भी दिखो सुंदर
सखी की याद आती है, पडे जब भी नजर तुम पर ॥ धृ ॥

समय था वो, समा दीदार से उनके महकता था
शहद का जाम जब मुस्कान से उनकी छलकता था

तुम्हारी चाँदनी से भी हसीं थी सादगी उनकी
खिलाती थी दिलों में फूल बस मौजूदगी उनकी ॥ १ ॥

नजर के सामने तुम, वो, हजारों मील थे पर दूर
तुम्हारा भी न, उनका भी न छू सकता कभी था नूर

जतन कितने किए उन तक पहुँचने के, सभी बेकार
छुपा लेती थी खुदको रंजिशों के बादलों के पार ॥ २ ॥

अमावस की तरह इक दिन अचानक वो हुई गायब
मुकद्दर के सितारे वो चुराकर ले गयी संग सब

तुम्हारी शक्ल में ही देखता हूँ अब छवी उनकी
कभी तो ईद आए, वो दिखे, ये आस है बाकी

मिले गर वो कभी, ऐ चाँद, इक पैगाम पहुँचाना
"उनकी याद में इक बावरा जगता है रोजाना" ॥ ३ ॥

- अनामिक
(०२/०२/२०१५ - ०२/०२/२०१६)