कदम तो डगमगाएंगे, नशे में चल रहे जो हम
निगाहें लडखडाएंगी, जवाँ मदहोश है आलम
जिएंगे कब तलक घुटकर, मचलकर आज जीने दो
रहेंगे कब तलक प्यासे, छलकते जाम पीने दो
हमें भी आज जीने दो, हमें भी आज पीने दो ॥ धृ ॥
"कहेंगे लोग क्या?" ये सोच डर डर कर जिए हम तो
उसूलों में, रिवाजों में जकडकर रह गए हम तो
मगर इन बेडियों का बोझ अब से ना सहेंगे हम
मनमौजी हवा बनकर जहा मर्जी बहेंगे हम
बगावत की सुई से सब अधूरे ख्वाब सीने दो
रहेंगे कब तलक प्यासे, छलकते जाम पीने दो
हमें भी आज जीने दो, हमें भी आज पीने दो ॥ १ ॥
शराफत की लकीरों में यूँ उलझे, ना सुलझ पाए
सुनी इसकी, सुनी उसकी, न खुदकी ही समझ पाए
मगर अब से दबे दिल की पुकारें ही सुनेंगे हम
करेंगे खूब नादानी, अजब राहें चुनेंगे हम
रंगीली शरबती बरसात हर-दिन, हर-महीने दो
रहेंगे कब तलक प्यासे, छलकते जाम पीने दो
हमें भी आज जीने दो, हमें भी आज पीने दो ॥ २ ॥
- अनामिक
निगाहें लडखडाएंगी, जवाँ मदहोश है आलम
जिएंगे कब तलक घुटकर, मचलकर आज जीने दो
रहेंगे कब तलक प्यासे, छलकते जाम पीने दो
हमें भी आज जीने दो, हमें भी आज पीने दो ॥ धृ ॥
"कहेंगे लोग क्या?" ये सोच डर डर कर जिए हम तो
उसूलों में, रिवाजों में जकडकर रह गए हम तो
मगर इन बेडियों का बोझ अब से ना सहेंगे हम
मनमौजी हवा बनकर जहा मर्जी बहेंगे हम
बगावत की सुई से सब अधूरे ख्वाब सीने दो
रहेंगे कब तलक प्यासे, छलकते जाम पीने दो
हमें भी आज जीने दो, हमें भी आज पीने दो ॥ १ ॥
शराफत की लकीरों में यूँ उलझे, ना सुलझ पाए
सुनी इसकी, सुनी उसकी, न खुदकी ही समझ पाए
मगर अब से दबे दिल की पुकारें ही सुनेंगे हम
करेंगे खूब नादानी, अजब राहें चुनेंगे हम
रंगीली शरबती बरसात हर-दिन, हर-महीने दो
रहेंगे कब तलक प्यासे, छलकते जाम पीने दो
हमें भी आज जीने दो, हमें भी आज पीने दो ॥ २ ॥
- अनामिक