17 फ़रवरी 2015

दुआ

हर खुशियों में रंग भरे जो
फूल खिले वो तेरे आँगन
हर सुबहा लाए वो सूरज
सब सपने कर दे जो रोशन

सदा सजे मुस्कान लबों पर
जिसे देख शरमाए दर्पन
गूँजे अल्लड हँसी यूँ, किसी
नन्ही की पायल की छनछन

मिले जीत हर जंग में तुझे
हर बादल बरसाए सावन
खुशबू तेरी तारीफों की
महके, जैसे बन में चंदन

ऊँची भरो उडान गगन में
रोक न पाए कोई बंधन
रहो जहा भी, सदा खुश रहो
यही दुआ माँगे मेरा मन

- अनामिक
(२०/१२/२००८, १३/०१/२०१५, १६/०२/२०१५)

15 फ़रवरी 2015

नाँव

धूप में, या छाँव में
बहाव में, ठहराव में
हमसफर बन संग निभाना, जिंदगी की नाँव में
प्रीत की नदिया बहे
दो दिलों के गाँव में
हमसफर बन संग निभाना, जिंदगी की नाँव में ॥ धृ ॥

फूल हो, अंगार हो
मंजिलें दुश्वार हो
हर कदम मिलकर चले तो, जलजलें भी पार हो
काँटें भी तुझ संग लगे
गुदगुदी से पाँव में
हमसफर बन संग निभाना, जिंदगी की नाँव में ॥ १ ॥

रोक ले ऊँची लहर
या उठे चाहे भँवर
हाथ बस तुम थाम लो, फिर तय करे मुश्किल सफर
तुम बनो मरहम मेरा
दर्द में, हर घाँव में
हमसफर बन संग निभाना, जिंदगी की नाँव में ॥ २ ॥

- अनामिक
(०८/०९/२०१४ - १४/०२/२०१५)