28 अप्रैल 2014

ऐ खुदा

रात का चिलमन हटा दे, अब दिखा दे इक किरन
रहमतों की चाँदनी से झिलमिलाने दे गगन

दूर हो बादल-जमीँ के बीच की सब रंजिशें
पग जलाती रेत पर उम्मीद की हो बारिशें

चीर सन्नाटें घने गूँजे सुरों की बिजलियाँ
फिर सजे बगिया गुलों से, रंग भर दे तितलियाँ

बेजुबाँ सूरज के दिल की चाँद तक पहुँचे सदा
कुछ करिश्मा कर दिखा, सुन ले गुजारिश ऐ खुदा

- अनामिक
(११/०३/२०१४, २२/०४/२०१४, २८/०४/२०१४)

26 अप्रैल 2014

आहट नही है

थम सी गई है     जीवन कि नदिया
जब से किसी की  आहट नही है

प्यासे फिरे हैं      पंछी नजर के
दीदार का अब     पनघट नही है

सुनसान दिल है,  लडने, सताने
बातें, शरारत      नटखट नही है

बहते न आँगन    झोंके पवन के
अब छेडने को     वो लट नही है

इक याद भटके    कल के नगर में
पर रोज की वो    चौखट नही है

- अनामिक
(१५/०२/२०१३, २४/०४/२०१४, २५/०४/२०१४)